अगर ख़्वाहिशें कुछ करने की हो, तो उम्मीद के साथ किसी भी कार्य को पूरा किया जा सकता है। पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है, जिसे हम सबको अपने प्रयासों द्वारा कम करना चाहिए। सत्य ही पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान देना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण में अगर हमारा योगदान हो तो, हम अन्य लोगों को इससे जोड़कर अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। एक दूसरे को देख लोगों में किसी कार्य को करने की जिज्ञासा होती है।
आज हम एक ऐसे युवा की कहानी आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए कचरे (Waste) द्वारा ई-सोलर कार्ट का निर्माण किया है। यह कार्ट बिजली से भी चार्ज किया जा सकता है।
अजहरुद्दीन (Ajaharudin) बीटेक सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैं। उनके अब्बू का नाम अमीरुदीन (Amirudin) है। ये दोनों मोदीनगर के निवासी हैं। अजहरुद्दीन बचपन से नये-नये चीज़ों का निर्माण किया करते थे लेकिन जब बड़े हुए तब पर्यावरण की चिंता हुई। उन्होंने सोलर से चलने वाली कार्ट का निर्माण किया ताकि धुंआ ना निकले और पर्यावरण का संरक्षण हो सके। उनके द्वारा निर्मित यह गाड़ी सभी को बहुत पसंद आई और ऑर्डर भी आने लगे। (E-Solar Cart Made From waste)
कबाड़ से किया निर्माण
उन्होंने यह जानकारी दिया कि गाड़ी के निर्माण में उन्होंने कबाड़ (Waste) के दुकान से सामान लिया। वहीं बैटरी मीटर और सोलर पैनल इत्यादि नए इस्तेमाल किये गए हैं। अगर सौर्य ऊर्जा ना मिल पाए तो इसे बिजली द्वारा चार्ज करके भी चलाया जा सकता है। बात अगर बैटरी की हो, तो वह 12 से 12 वोल्ट की 140 Ampere लीड एसिड की 5 बैटरी इसमें लगी है। सोलर चार्जिंग द्वारा यह गाड़ी 10 से 15 किलोमीटर की यात्रा तय कर सकती है। वहीं अगर यह बिजली से चार्ज होगा, तो 40 किलोमीटर की यात्रा तय होगी। (E-Solar Cart Made From waste)
किए और भी निर्माण
अजहरुद्दीन सुभारती इंस्टीट्यूट में अपने बीटेक की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वह जब 5वीं कक्षा में थे, तब उन्होंने इंजेक्शन एवं आईवी सेट द्वारा क्रेन का मॉडल बनाया था। वहीं 11वीं में उन्होंने सीटर हेलीकॉप्टर का निर्माण किया, जिसकी सराहना गाजियाबाद में लगी प्रदर्शनी में हुई। हालांकि उनकी वितीय स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उनके निर्माण में थोड़ी दिक्कत होती है और नया रास्ता नहीं दिखता।
(E-Solar Cart Made From waste)
6 माह में किया कार्ट का निर्माण
उन्होंने यह जानकारी दिया कि इस कार्ट को बनाने में लगभग 6 माह का वक्त लगा। साथ ही डेढ़ लाख रुपए का खर्च भी आया। निर्माण के बाद इसे एक वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया, उसके बाद बहुत से आर्डर आने लगे। यहां तक की दुबई से भी आर्डर मिले। अभी इस सोलर कार्ट का उपयोग हरियाणा के हिसार कैंट एवं इंजीनियर कॉलेज में हो रहा है।
कचरे (Waste materials) द्वारा इको-फ्रेंडली गाड़ी का निर्माण करने के लिए The Biharians अज़हरुदीन की तारीफ़ करता और उनके उज्वल भविष्य की कामना करता है।