बिहार (Bihar) में दुनिया के सबसे बड़े मंदिर (Temple) के निर्माण कार्य की शुरुआत जल्द होगी. इसकी सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मंदिर निर्माण की परिकल्पना करने वालों का कहना है कि इस साल होली के त्योहार के बाद मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने के मार्ग में अब कोई व्यावधान नहीं बचा है, क्योंकि कंबोडियाई सरकार की आपत्तियों के बाद मूल योजना में संशोधन किया गया है.
पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट के किशोर कुणाल ने आईएएनएस(IANS) से कहा, ”हमारे विराट रामायण मंदिर(Virat Ramayan Temple) पर कंबोडिया सरकार की आपत्तियों के बाद हमने मूल योजना में संशोधन किया है.”
कंबोडिया ने प्रस्तावित मंदिर को अंगकोर वाट मंदिर की प्रतिलिपि बताते हुए आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा, ”हमने होली के बाद निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी कर ली है, जो एक शुभ मुहूर्त होगा.”
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी कुणाल ने कहा कि प्रस्तावित मंदिर के डिजाइन या वास्तुकला का अंगकोर वाट मंदिर से कोई लेनदेना नहीं है, जहां हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं. कंबोडियाई मंदिर परिसर का निर्माण 12वीं सदी में राजा सूर्यवर्मन के शासनकाल में हुआ था और अब यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है.
प्रस्तावित मंदिर पश्चिमी चंपारण जिले के केसरिया के निकट जानकी नगर में करीब 165 एकड़ भूमि में बनाया जाएगा. प्रथम चरण में निर्माण कार्य पर 200 करोड़ रुपए की लागत आएगी. प्रथम चरण में रामायण मंदिर, शिव मंदिर और महावीर मंदिर का निर्माण होगा.
मंदिर का मुख्य आकर्षण इसकी 405 फीट ऊंची अष्टभुजीय मीनार होगी. यह अंगकोर वाट मंदिर की मीनार से ऊंची होगी जो 215 फीट ऊंची है. परिसर में 18 मंदिर बनाए जाएंगे. मंदिर परिसर में 44 फीट ऊंचे और 33 फीट की परिधि वाले शिवलिंग स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो दुनिया में सबसे ऊंचा होगा.
यह पढ़ें: बिहार का ‘देवघर’ है मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम, इस मंदिर में पूरी होती है हर मुराद
कुणाल ने कहा कि जब गत साल मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने वाला था तो कंबोडियाई सरकार ने भारत सरकार से यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि यह अंगकोर वाट मंदिर की नकल है. कुणाल और उनकी टीम ने योजना की पुनर्जांच की. गत साल विदेश मंत्रालय के जरिए नॉम नेन्ह को संशोधित योजना भेजी दी गई थी.
नई दिल्ली स्थित कंबोडियाई दूतावास ने कथित रूप से संकेत दिया है कि आपत्तिजनक स्थिति में वह संशोधन का सुझाव देगा. कुणाल ने कहा, ”मुझे सरकार की ओर से सूचित किया गया है कि कंबोडियाई सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है. “इसलिए निर्माण कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया है. पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि मंदिर का डिजाइन खास तौर पर इंडोनेशिया व थाईलैंड समेत भारत और दुनियाभर के दर्जनों प्रमुख मंदिरों से प्रभावित है.
यह पढ़ें: बिहार के इस मंदिर ने रातों रात खुद ही बदल दी अपनी दिशा, जानें क्या है रहस्य ?
कुणाल ने कहा, ”कई मुसलमानों ने मामूली दर पर जमीन दी है. बिना उनकी मदद के इस महत्वाकांक्षी परियोजना को शुरू करना मुश्किल था. “मंदिर के एक हॉल में 20,000 लोगों के बैठने की क्षमता होगी और मुख्य मंदिर में राम, सीता, लव और कुश की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी. मंदिर का निर्माण नामी विनिर्माण कंपनी एल एंड टी इंडिया करेगी.
बिहार से जुड़ने के लिए अभी हमें फेसबुक पर लाइक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें.#TheBiharians