बहादुर अफसरों की देश में कोई कमी नहीं है। आज हम जिस निडर महिला आईपीएस की चर्चा यहां कर रहे हैं उनके बारे में आपको बता दें कि उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा भी पास कर ली थी। हम बात कर रहे हैं आईपीएस अफसर हरप्रीत कौर की। हरप्रीत कौर से जब एक साक्षात्कार में पूछा गया कि सीए की परीक्षा पास कर लेने के बाद भी वो सिविल सेवा की तरफ गईं, तब इसपर इस महिला आईपीएस ने कहा था कि ‘मैं बचपन से ही सिविल सर्वेंट बनना चाहती थी…मेरे पिता का भी सपना था कि मैं आईपीएस बनूं।’
हरप्रीत कौर का जन्म 26 जून 1980 को पंजाब के बरनाला के अलकड़ा गांव में हुआ था। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली हरप्रीत कौर के पिता जोगिंदर सिंह शिक्षक थे। हरप्रीत कौर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के ही प्राइमरी स्कूल से की। 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद वो मोहाली आ गईं। हरप्रीत कौर ने अपना ग्रेजुएशन (बीकॉम) चंडीगढ़ से किया।
हरप्रीत कौर की पहली पोस्टिंग बिहार के भभुआ जिले में हुई। भभुआ के बाद वो जहानाबाद, बेगूसराय और कैमूर में एसपी रहीं। सभी जगह उन्होंने कम्युनिटी पुलिसिंग का काम जारी रखा। मई, 2018 में उन्होंने एसएसपी मुजफ्फरपुर के तौर पर जॉइन किया।
हरप्रीत कौर उस वक्त भी सुर्खियों में थीं जब उन्होंने जन अधिकार पार्टी के सांसद पप्पू यादव द्वारा अपने उपर हुए कथित हमले को झूठा करार दिया था। बाहुबली रहे पप्पू यादव से उनका पंगा उस वक्त हुआ जब 6 सितंबर को एससी-एसटी एक्ट के विरोध में भारत बंद था। इसी दिन पप्पू यादव मुजफ्फरपुर से गुजर रहे थे। यहां के खबरा गांव में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कथित तौर पर उन्हें रोक लिया। पप्पू इसके बाद मीडिया में आए और कहा कि उनके साथ मारपीट की गई। फूट-फूट कर रोने लगे।
कुछ दिनों बाद वो दोबारा मीडिया के सामने आकर बोले- मेरी हत्या की साजिश रची गई थी। आरोप लगाया कि इस साजिश में मुजफ्फरपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर भी शामिल थीं..मैंने हमले के वक्त एसएसपी को फोन किया था, मैसेज किए, मगर एसएसपी ने कोई एक्शन नहीं लिया। इसके बाद हरप्रीत कौर ने पप्पू यादव को करारा जवाब दिया।
उन्होंने साफ किया कि हमले का कोई सबूत सामने नहीं आया है और अगर वाकेयी हमला हुआ था तो पप्पू यादव ने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करवाई। टूटे मोबाइल और गाड़ी का एविडेंस क्यों नहीं दिया। हमले की कहानी पूरी तरह से झूठी है।बिहार के चर्चित शेल्टर होम कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजने का श्रेय भी इसी आईपीएस अफसर को जाता है।
Input: Jansatta