बिहार का ‘देवघर’ है मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम, इस मंदिर में पूरी होती है हर मुराद

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बाबा गरीबनाथ मंदिर उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी आस्था एवं विश्वास लोगों में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. पूर्व में यह मंदिर एक छोटे से भवन में अवस्थित था. वर्तमान में इस मंदिर का भव्य भवन निर्माण किया गया एवं अनेकों देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा कर मूर्ति स्थापित की गयी.

आईये जानतें हैं बाबा गरीबनाथ मंदिर से जुड़े ऐतेहासिक तथ्य और इतिहास

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा गरीबनाथ धाम का करीब तीन सौ साल पुराना इतिहास रहा है. मान्यता है कि पहले यहां पर घना जंगल था और इन जंगलों के बीच सात पीपल के पेड़ थे.

बताया जाता है कि पेड़ की कटाई के समय खू’न जैसे लाल पदार्थ निकलने लगे और यहां से एक विशालकाय शिवलिंग मिला. लोग बताते हैं कि जमीन मालिक को बाबा ने स्वपन में दर्शन दिया, तब से ही यहां पूजा-अर्चना हो रही है. मान्यता है कि यहाँ शिव अपने परिवार के साथ विराजते हैं. सुर्ज, राधा कृष्ण, एवं भक्त वत्सल हनुमान भी विराजते हैं. नंदी, बाबा के गर्वगृह के मुख्य द्वार पर विराजते हैं.

अब आईये जानतें हैं उत्तर बिहार का देवघर कहा जाने वाला बाबा गरीबनाथ मंदिर से जुड़े हुए कुछ ऐसे तथ्य हैं जो शायद आप नहीं जानतें होंगे.

पुराने समय की बात है, गरीबनाथ का मंदिर वर्तमान में जहां अवस्थित है, उस जमीन का मालिक आर्थिक तंगी में किसी दूसरे के हाथ बेच दिया. उसी जमीन में एक बरगद का पेड़ भी था, जो अभी भी मौजूद है. जमीन के नए मालिक ने कुछ मजदूरों को बुलाकर उक्त बरगद के पेड़ को कटवाना शुरू किया.

बरगद के जड़ में कुल्हाड़ी से प्रहार करने पर, लाल लाल पानी बहने लग. जो रक्त के समान था. मजदूर लोग डर कर जमीन के मालिक को सुचना दी और कार्य छोर दिया. जमीन मालिक के आने के बाद जब खुदाई की गयी तो एक शिवलिंग मिला, जो विछत हो गया था.

जमींदार ने भी आगे का काम बंद करवा दिया. उसी दिन रात में जमींदार को स्वप्न में बाबा गरीबनाथ उपस्थित होकर उन्हें बताया की मेरा एक भक्त जो छपरा जिला का निवासी है और उसका नाम शिवधारी पाठक है, को बुलाकर मेरी स्थापना करवाओ. चुकी मेरी खोज एक गरीब मजदूर के द्वारा किया गया इसलिए मैं यहाँ गरीबनाथ के रूप में विराजमान रहूँगा, यह सत्य है.

मान्यता है कि बेहद ही गरीब आदमी के बेटी के विवाह के लिए घर में कुछ भी नहीं था, लेकिन बाबा के दर्शन के बाद सारे सामानों की आपूर्ति अपने-आप हो गई तबसे से लोगों के बीच गरीबनाथ धा्म के रूप में बाबा की प्रसिद्धि हुई.

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हर साल बढ़ती जा रही है गरीबनाथ की प्रसिद्धिमुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम वर्षों से श्रद्धालुओं के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है. मनोकामना लिंग के रूप में भक्तों के बीच ख्याति पाए बाबा की महिमा की प्रसिद्धि हर साल बढ़ती ही जा रही है.सावन के महीने में विशेषकर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घाट से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर कांवड़ियों का जत्था लाखों की संख्या में पवित्र गंगा जल से बाबा का जलाभिषेक करते हैं.

देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है. भक्तों की बीच बाबा की प्रसिद्धि ऐसी कि हर साल 10 से 15 फीसदी कांवड़ियों की संख्या बाबा को जलाभिषेक करने के लिए बढ़ते चले जा रहे हैं.

उत्तर बिहार का देवघर क्यों कहा जाता है बाबा गरीबनाथ धाम को

बताया जाता है कि जब से झारखंड बिहार से अलग हुआ, तब से सबसे अधिक श्रद्धालु सावन महीने में यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.

सावन के महीने में गरीबनाथ धाम श्रद्धालुओं के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है. यहां आने वाले शिव भक्त ‘मनोकामनालिंग’ के तौर पर पूजा करते हैं. बताया जाता है यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करते हैं. यही कारण है कि बाब गरीबनाथ ‘मनोकामनालिंग’ के नाम से मशहूर हैं.

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