बहुत सारे हिंदी फिल्मों में आपने देखा होगा की हीरो विदेश से अपने गांव आता है। कुछ ऐसा होता है कि वह गांव में ही बस जाता है। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं, जहां एक लड़की रिसर्चर के तौर पर गांव आती हैं ,और किसानों की सिंचाई की समस्या को देखते हुए कुछ ऐसा काम कर जाती हैं जिसने किसानों की जिंदगी बदल दी है।
किसानों की समस्या होती है कष्टदायक
हम सब जानते हैं कि भारतीय किसानों को बहुत सारे तरीके की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कभी खेतों में पानी की समस्या हो जाती है तो कभी खाद की। हमारा दुर्भाग्य तो देखिए की इतनी बारिश होने के बाद भी हमारे पास ऐसे साधन नहीं है, जिससे हम पानी को इकट्ठा करके खेतों में संभाल कर पाए। यही कारण है कि बरसातों में खेतों को पानी में डूबना पड़ जाता है ,और गर्मी आते हैं वही खेत पानी के लिए तरसने लगता है।
किसानों की समस्या के लिए सामने आई महाराष्ट्र की एक बेटी जिसने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया कि किसानों की मदद कैसे की जाए। हम बात कर रहे हैं मैथिली अपल्लवार की।
कौन है मैथिली
मैथिली महाराष्ट्र के मुंबई की रहने वाली हैं और इनकी उम्र 23 वर्ष है। यह एक बिजनेस परिवार से ताल्लुक रखती हैं और अपनी पढ़ाई के लिए यह अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया। इसी दौरान अपने एक रिसर्च प्रोजेक्ट के कारण उन्हें यवतमाल में रहने का मौका मिला। यहां जाकर उन्होंने दुनिया को अलग नजरिए से देखा और पहली बार उन्हें किसानों को करीब से जानने का मौका मिला और उनकी परेशानियों से रूबरू होने का मौका मिला।
उन्होंने काफी नजदीक से देखा कि कैसे छोटी छोटी चीजों और सुविधाओं के लिए एक किसान संघर्ष करता है। उन्होंने सोचा कि किसानों की मदद युवा अपनी छोटी-छोटी कोशिशों से कर सकते हैं।
सस्ता तकनीकों पर शुरू किया काम
उन्होंने सोचा कि क्यों ना किसानों के लिए खेतों में इस्तेमाल होने वाले जितने तकनी के हैं उनको सस्ता और अच्छा बनाया जाए। सबसे ज्यादा परेशानी वहां पानी की हो रही थी। लेकिन किसानों के पास ऐसा कोई सस्ता साधन नहीं था जिससे पानी को सहेज कर रखा जा सके।
मुंबई स्टार्टअप से शुरू किया काम
साल 2016 में उन्होंने मुंबई में अपनी एक कंपनी खोली जिसमें सबसे पहले किसानों के लिए सस्ती और टिकाऊ तालाब बनाने पर काम शुरू किया गया। इस स्टार्टअप के जरिए उन्होंने जल संचय लांच किया जिसमें एक खास पॉली मीटर सीट बिछाई जाती थी। इसमें बारिश के पानी या नहरिया नदियों से आने वाली पानी को इकट्ठा किया जाता था जो कि बाद में सिंचाई के काम में लाया जाता था।
50 से 60 लाख लीटर पानी सहेजते हैं
अभी वह जो तालाब बना रही हैं उसे 50 से 700000 लीटर पानी को बचाया जा सकता है और यह 5 एकड़ की सिंचाई के लिए काम आ सकता है। अभी अगर लागत की बात करें तो आपको तालाब बनाने में 2.15 लाख लेकिन आपको बता दें कि सीमेंट के टैंक से यह 10 गुना कम लागत है। किसानों की बात करें तो उनके लिए 10 से ₹2000000 जुटाना तो नामुमकिन की तरह है।
किसानों की कमाई 99% तक बढ़ गई
मैथिली बताती है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में इससे काफी अंतर आया है। वह बताती हैं कि किसानों की कमाई 99% बढ़ चुकी है। जो किसान पहले मौसम के इंतजार में अपने उपज को छोड़ देते थे आज वह जल संचय तालाब से पानी का उपयोग करते हैं और सिंचाई करते हैं। बहुत सारी इलाकों में लोग इसलिए नहीं खेती कर पाते हैं क्योंकि उनके पास पानी का स्रोत नहीं होता लेकिन अब यह समस्या समाप्त हो चुकी है।
उन्होंने सतारा के दुधन बारी गांव में लगभग साडे किसानों के खेत में तालाब बनाए हैं जिसने उस गांव की पूरी तस्वीर ही बदल दी है। तलाब बनने के 1 साल के अंदर ही उन्होंने देखा कि उनकी आय दोगुनी हो चुकी है।
पशु का भी रखा ध्यान
मैथिली ने देखा कि किसान जो डेरी किसान है वह फर्मेंट करके पशुओं को चारा देते हैं ताकि उनका दूध ज्यादा हो और पोषण से भरा हुआ हो। लेकिन पशु कहीं ना कहीं बीमारियों से ग्रस्त होते दिख रहे थे और उनकी मौत भी बहुत जल्दी हो जा रही थी। इसके लिए उन्होंने देखा कि जिस बैग में उनके लिए चारा लाया जाता है वह ज्यादातर रासायनिक खादों से बना होता था इसलिए मैथिली में सस्ते दामों में इसका भी समाधान निकालने का प्रयास किया।
मैथिली ने एक ऐसे बैग का निर्माण किया जो बिल्कुल सुरक्षित और ज्यादा समय तक चलने वाला था। इस बैग को बिल्ली या चूहे से बचाया जा सकता था। वह बताती है कि इसकी कीमत थोड़ी ज्यादा हो जाती है लेकिन शुरुआत तो करनी थी। उन्हें लगा था कि इस बैग को लोगों तक पहुंचाने में परेशानी होगी लेकिन जैसे ही इन्होंने इस प्रोडक्ट को लांच किया तुरंत 40000 बैग बिक गए और आउट ऑफ स्टॉक हो गया।
परिवार से मिली आर्थिक मदद
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया था कि मैथिली के परिवार में लोग बिजनेस करते थे। इसलिए उन्हें फंड के बारे में ज्यादा नहीं सोचना पड़ा और भटकना नहीं पड़ा। परिवार के सहयोग से शुरुआत काफी आसान हो गई। लेकिन परेशानी तब आती थी जब उन्हें लोगों के बीच जाकर उन्हें समझाना पड़ता था और उन्हें जागरूक करना पड़ता था।
महिला होने के कारण था थोड़ा चुनौतीपूर्ण
मैथिली बताती हैं कि सबसे मुश्किल इस बात की थी कि इस क्षेत्र में आपको महिलाएं ज्यादा देखने को नहीं मिलेंगे। जब लोग देखते थे कि कोई लड़की आकर उन्हें जागरूक कर रही है तो वह इस बात को स्वीकार नहीं कर पाते थे। लेकिन मेहनत और ईमानदारी और सच्ची सोचने कभी इन के रास्ते में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश नहीं की। धीरे-धीरे लोग बात करने लगे समझने भी लगे और स्वीकार ने भी लगे। कभी-कभी लोगों को भरोसा दिलाना भी बहुत मुश्किल होता था क्योंकि सबको यही लगता था कि यदि बाहर से कोई आ रहा है तो अपने फायदे के लिए ही आ रहा होगा
आगे भी होंगे और तरीके के प्रोडक्ट्स लॉन्च
मैथिली का उद्देश्य ही है कि किसानों के लिए आसान प्रोडक्ट्स को बनाना। आज उनकी कंपनी 12000 से ज्यादा किसानों को जल संचय तलाव से रूबरू करा चुकी है। आज लोग इसकी महत्ता को समझ रहे हैं और 80 हजार से भी ज्यादा लोगों के जीवन में इस तालाब से बदलाव आया है। आपको बता दें कि इन्हीं तालाबों के जरिए 54 करोड़ लीटर पानी की बचत भी हुई है।
मैथिली का कहना है कि हमारे भारत में और यहां के गांव में असीमित मौके हैं जिन्हें हमें पहचानने की जरूरत है और स्वीकारने की जरूरत है।
The Biharians की ओर से मैथिली के इस पहल को शुभकामनाएं।