बिहारी बेटे ने बनाया सौर ऊर्जा से चलने वाला दुनिया का पहला मानवरहित यान मराल-2, नाम किया रोशन

बिहार के बेटे और आइआइटी के छात्र  विजय शंकर को मिली बड़ी सफलता, उन्होंने सौर ऊर्जा से चलने वाला दुनिया का पहला ऐसा मानवरहित यान (यूएवी) सोलर मराल-2 बनाया है, जो एक्सीरॉन तकनीक से लैस है, भारतीय नौसेना ने किया पसंद, समुद्र की निगरानी के लिए होगा इस्तेमाल

विजय शंकर द्विवेदी बिहार(Bihar) के कटेया प्रखंड के पटखौली गांव निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक  ब्रजनाथ द्विवेदी के पुत्र हैं. इस तकनीक से यूएवी के पैनल हमेशा सूर्य की ओर होंगे और उसकी सबसे अधिक ऊर्जा ग्रहण करेंगे. इस तकनीक ने मराल-2 को दुनिया का सर्वाधिक समय तक उड़ने वाला सोलर यूएवी बना दिया है. इस सोलर यूएवी को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो एके घोष और डॉ जीएम कामत के दिशा निर्देश में विजय शंकर द्विवेदी ने दो साल के शोध के बाद तैयार किया है.

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तकनीक को पेटेंट कराया

इस सोलर यूएवी को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. एके घोष और डॉ. जीएम कामत के दिशानिर्देशन में पीएचडी छात्र विजयशंकर द्विवेदी ने दो साल के शोध के बाद तैयार किया है. आइआइटी की एयर स्ट्रिप पर 18 घंटे की सफल उड़ान के बाद तकनीक को पेटेंट करा लिया गया है.

क्यों है ये यूएवी खास

12 किलो के इस यूएवी का पेलोड (सामग्री के साथ उड़ते समय वजन) 20 किग्रा है. इसमें सर्विलांस निगरानी के पूरे सिस्टम मौजूद हैं. यह सोलर यूएवी सौ किमी तक क्षैतिज (लंबाई में) और पांच किमी तक ऊध्र्व (ऊंचाई) में उड़ सकता है. इसे 250 मीटर ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए रिमोट की जरूरत होती है, फिर ऑटो पायलट तकनीक यूएवी को नियंत्रित कर लेती है. अधिकतम ऊंचाई पर भी इसके कैमरे जमीन पर हो रही हरकत पकड़ लेते हैैं.

 

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कहां-कहां हो सकता इस्तेमाल

इस सोलर यूएवी का इस्तेमाल सर्विलांस के अलावा आकस्मिक परिस्थितियों व प्राकृतिक आपदा के समय भोजन व दवाओं के पैकेट पहुंचाने में अधिक कारगर होगा. चर्चा है कि नेवी ने भी इसे लेकर उत्सुकता जताई है. अधिक ऊंचाई और लंबाई तक उडऩे की क्षमता के कारण सेना के लिए भी यह काफी मददगार है.

सर्वाधिक एंडुरेंस वाला सोलर यूएवी

यूएवी में एक्सीरॉन कंट्रोल तकनीक का उपयोग किया गया है. यह तकनीक हमेशा सोलर पैनल को सूर्य की दिशा में रखेगी. इसीलिए अपेक्षाकृत छोटे (2.2 वर्ग मीटर) सोलर पैनल वाला यह यूएवी सूर्य की सर्वाधिक ऊर्जा ग्रहण करेगा. इससे यह सर्वाधिक एंडुरेंस (सौर ऊर्जा क्षेत्र का चयन करना, ग्रहण करना, इस्तेमाल करना और भंडारण कर बैकअप बनाना) वाला सोलर यूएवी बन गया है.

 

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18 घंटे की है उड़ान क्षमता

इस यूएवी के सोलर सेल 240 वाट सौर उर्जा उत्पन्न करते हैं, जबकि उडऩे के लिए महज 170 वाट की जरूरत होती है. सौर ऊर्जा भंडारण क्षमता होने के कारण यह रात में भी उड़ान भर सकता है. पहले 14 घंटे तक उड़ान भर सकने वाले यूएवी की उड़ान क्षमता अब 18 घंटे हो गई है. पंखों की विशेष डिजाइन के कारण यह किसी भी दिशा में नियंत्रित उड़ान भर सकता है.

नौसेना को भाया, मुंबई की कंपनी करेगी उत्पादन

शोधार्थी विजय ने बताया कि पेटेंट मिल चुका है और अब मुंबई की विटॉए एविएशन कंपनी इसका व्यावसायिक उत्पादन करने जा रही है. सोलर यूएवी को भारतीय नौसेना ने भी पसंद किया है और समुद्र की निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है.

 

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