ऑटो चालक की होनहार बेटी ने बिहार बोर्ड परीक्षा में किया टॉप, माँ ने फ़ीस भरने के लिए बेच दिए थे गहने

इसमें कोई संदेह नहीं है कि लड़कियाँ पढ़ाई में लड़कों से आगे निकल रही हैं। अभी हाल ही में बिहार में 12वीं कक्षा की परीक्षा का परिणाम (Bihar Board 12th Result 2021) घोषित हुआ। जिसमें छात्रों के अपेक्षा छात्राओं का परिणाम बेहतर रहा।

बिहार बोर्ड के इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम में कल्पना कुमारी (Kalpna Kumari) ने विज्ञान संकाय से चौथे नंबर पर टॉप किया, जिससे सारे घर परिवार और मोहल्ले में ख़ुशी का माहौल छा गया तथा रिजल्ट आने के बाद से ही उनके घर में सभी बधाई देने पहुँच गए।

ऑटो चालक है कल्पना के पिता

आपको बता दें कि टॉपर कल्पना कुमारी (Kalpna Kumari) एक गरीब परिवार से सम्बंध रखती हैं। उनके पिताजीऑटो चलाने का काम करते हैं। वे उनके परिवार के साथ बिहार नेपाल सीमा के रक्‍सौल नगर परिसद वार्ड 22 के शिवपुरी मुहल्ला में स्थित एक टूटे-फूटे घर में रहा करती हैं। कल्पना ने रक्सौल में ही रहते हुए 10वीं की परीक्षा भी दी थी, जिसमें उन्हें 80 % मार्क्स प्राप्त हुए थे। कल्पना का सबसे बड़ा भाई एयरफोर्स में जाने की तैयारी कर रहा है, वे अपने सभी भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। उनकी बहन का नाम अर्चना कुमारी है, जो कल्पना के साथ ही पढ़ाई किया करती हैं।

मां ने बच्चों को पढ़ाने के लिए बेच दिए गहने

कल्पना कुमारी ने यह सफलता अपने बलबूते पर ही हासिल की है, क्योंकि उनके माता-पिता भी कम पढ़े-लिखे हैं। उनके पिताजी किराए का ऑटो चलाकर जैसे तैसे घर ख़र्च चलाते हैं। इन बातों से यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि कल्पना को कितने संघर्षों से गुजरना पड़ता होगा, पर फिर भी इन हालातों में जो सफलता कल्पना ने प्राप्त की, वह निश्चित रूप से बहुत ख़ास है। गौरतलब है कि कल्पना के माँ ने अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए अपने गहने भी बेच डाले, जिससे बच्चों की स्कूल की फीस भरी जा सके।

भविष्य में सिविल सर्विसेज में जाना चाहती हैं कल्पना

कल्पना से जब पूछा गया कि वे आगे जाकर क्या बनना चाहती हैं, तो उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन के बाद वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती हैं। वे कहती हैं कि ” मेरी साइंस पढ़ने की इच्छा को देखकर पिताजी ने मुझे मोतिहारी भेजा था, लेकिन फिर लॉकडाउनके कारण पढ़ने में समस्या आने लगी थी, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने से काफ़ी सहायता मिल गई। फिर मैं पूरी मेहनत से परीक्षा की तैयारी में लग गई। फिर जब हालात कुछ सामान्य हुए तो मेरी ऑफलाइन पढ़ाई भी शुरू हो गयी तथा और ऑनलाइन भी चलती रही। जिसके फलस्वरूप मुझे मेरी मेहनत का फल मिला।

कल्पना के परिवारवालों ने गरीब होने के बावजूद अपनी बेटियों को बेटों की तरह ही पढ़ाया-लिखाया और उन में कभी अंतर नहीं किया, यही वज़ह है कि उनकी बेटी ने भी ख़ूब मेहनत से पढ़ाई करके माँ बाप का नाम रोशन कर दिया।