बेटियों के लिए समाज की सोच धीरे-धीरे बदल रही है। आज बेटियां अलग-अलग क्षेत्र में अपना नाम कमा रही हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें अभिशाप माना जाता था। बेटियों को बोझ समझा जाता था। इसलिए कई जगहों पर बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। 1960 में राजस्थान के अजमेर जिले के कोटड़ा गांव में जन्मीं गुलाबो सपेरा के साथ भी ऐसा ही हुआ। गुलाबो ने टीवी के पॉपुलर रियलिटी शो ‘बिग बॉस 5’ में हिस्सा लिया था। यहां उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया था।
पैदा होते ही जमीन में गाड़ दिया
गुलाबो राजस्थान की फेमस कालबेलिया डांसर हैं। अपने लोकनृत्य से गुलाबो ने देश ही नहीं विदेशों में भी पहचान बनाई है। उन्हें साल 2016 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका है। लेकिन इस सबके पीछे है गुलाबो और उनके परिवार का कड़ा संघर्ष। दरअसल, जब गुलाबो का जन्म हुआ तो उनके पिता घर से दूर थे। उनके रिश्तेदारों ने जब देखा कि बेटी जन्मी है तो उन्होंने गुलाबो को जिंदा जमीन में दफना दिया। जब उनकी मां को होश आया तो उन्हें पता चला कि बेटी को दफना दिया गया है। उन्होंने रोते-रोते लोगों से भीख मांगी कि मुझे जगह बता दो कहां गाड़ा है। मैं निकालकर ले आऊंगी। किसी ने उन्हें कुछ नहीं बताया। लेकिन गुलाबो की मौसी को पता था। उन्हें कहा कि रात को लेकर आएंगे।
वाशिंगटन में किया परफॉर्म
इसके बाद दोनों रात के 12 बजे गए। जमीन से गुलाबो को निकाला। उनकी सांसें चल रही थीं। इसके बाद न सिर्फ गुलाबो को नया जीवनदान मिला बल्कि उन्होंने कई लड़कियों की जिंदगी बचाई। गुलाबो के पिता सांपों को नचाने का काम करते थे। जब गुलाबो बड़ी हुईं तो वह अपने पिता के साथ जाने लगीं और बीन की धुन पर नाचने लगीं। धीरे-धीरे उनका ये डांस प्रचलित हो गया। जब वह 17 साल की थीं को उन्हें फेस्टिवल ऑफ इंडिया प्रोग्राम में परफॉर्म करने का मौका मिला था। ये आयोजन वाशिंगटन में हुआ था। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी शामिल हुए थे। इसके जरिए गुलाबो ने अपने डांस के जरिए पूरी दुनिया में कालबेलिया डांस का परिचय कराया। गुलाबो की प्रसिद्धि देख उनके समाज में लोगों ने लड़कियों को मारना बंद कर दिया। गुलाबो ने कहा कि यही उनकी सबसे बड़ी जीत है।
गुलाबो का असली नाम
बहुत ही कम लोग जानते हैं कि गुलाबो का असली नाम धनवंतरी है। लेकिन गुलाबो नाम के पीछे उनके पिता का बेशुमार प्यार छिपा है। बचपन में वह बहुत गौरी थीं और उनके गाल एक दम गुलाबी। ऐसे में उनके पिता ने उनका नाम गुलाबो रख दिया। गुलाबो ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके समुदाय में सरनेम नहीं हुआ करते थे। ऐसे में उनके डांस के कारण उनका सरनेम सपेरा पड़ गया।
क्या है कालबेलिया नृत्य
कालबेलिया नृत्य सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। इस डांस की शुरुआत गुलाबो से ही हुई। उन्होंने इसे कहीं से सीखा नहीं। वह अपने पिता के साथ जाया करतीं और बीन की धुन पर नाचा करती थीं। आज ये डांस देशभर में काफी पॉपुलर है। लोग इस डांस को देखने के लिए राजस्थान घूमने के लिए जाते हैं। विदेशी भी इस डांस से काफी प्रभावित होते हैं।
Input: Patrika