बिहार का यह लाल ठुकरा चुका है अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA का ऑफर, अपने देश भारत के लिए करना चाहता है कुछ बड़ा

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बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) के ध्रुवगंज गांव में रहने वाले 19 वर्षीय गोपाल 3 बार नासा (NASA) का ऑफर ठुकरा चुके हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी उन्हें न्योता दिया, लेकिन वे टस-से-मस नहीं हुए. कहते हैं देश की सेवा करना ही मेरा लक्ष्य है. उन्होंने हर साल देश के 100 बच्चों को मदद देने का फैसला किया है. 2019 में उन्होंने यह कार्य शुरू किया. 8 बच्चों के आविष्कार का उन्होंने प्रोविजनल पेटेंट भी करवाया. फिलहाल, गोपाल देहरादून सरकारी ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट की लैब में टेस्टिंग कर रहे हैं. वह झारखंड में लैब बनाकर वहां रिसर्च करेंगे.

 

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क्या आपने कभी सोचा कि  केले के थंब(तना) और उसके पत्ते से नेचुरल हेयर कलर बनाया जा सकता है. ऐसी ईंट जो कभी पानी में डूबेगी नहीं. अगर नहीं तो मिलिए नवगछिया, ध्रुवगंज, भागलपुर के गोपाल से जिन्होंने ऐसा कमाल कर दिखाया है. महज 19 साल के गोपाल को 14 साल की उम्र में यंगेस्ट साइंटिस्ट ऑफ इंडिया के खिताब से नवाजा जा चुका है. इनका सपना भारत को अपने आविष्कारों से नोबल प्राइज दिलाना है. उन्हें अपने द्वारा बनाये गये गोपनिम एलॉय के लिए नेशनल एरोनाॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) की ओर से दो बार चिट्ठी भी भेजी गयी.

नासा ने 23 मई को भी गोपाल के साथ काम करने के लिए चिट्ठी भेजी लेकिन उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें सिर्फ अपने देश भारत के लिए काम करना है. गोपाल बताते हैं कि उन्होंने कुल दस आ‌विष्कार किये हैं, जिसमें चार पेटेंट के लिए भेजे गये हैं.

 

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गोपाल सिर्फ एक खोजकर्ता नहीं बल्कि शोधकर्ता और एक प्रेरक वक्ता भी हैं. वे केले के पत्ते और पेपर बायोसेल से जुड़ी अपनी खोज का पेटेंट भी करा चुके हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले इस युवा ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की. लेकिन गरीबी को सपनों के आड़े नहीं आने दिया. उन्हें 10वीं कक्षा में इंस्पायर अवार्ड से पुरस्कृत किया गया था. यह पुरस्कार बेकार पड़े केले के पत्तों से बिजली बनाने की खोज के लिए दिया गया था. गोपाल अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे. यह महज 10 मिनट की मुलाकात थी. लेकिन इसके बाद मानो उनकी किस्मत का सितारा चमक उठा.

 

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मकसद 100 खोजकर्ता तैयार करना
गोपालजी ने गोपनीय प्रकाश का आविष्कार भी किया है, जो अधिकतम तापमान को भी बर्दाश्त कर सकता है. वह नासा से मिला ऑफर ठुकरा चुके हैं. यह युवा खोजकर्ता अगले पांच साल में पीएचडी कर लेगा. फिलहाल वे देहरादून से अपनी बीटेक (B. Tech) पूरी कर रहे हैं. उनका मकसद 100 युवा खोजियों को तैयार करना है.

 

 

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प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे

बकौल गोपाल, प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद मुझे सीधे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भेज दिया गया. वहां से मुझे नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, अहमदाबाद भेजा गया. जहां मैंने 3-4 आविष्कार किए. वहीं से मुझे विदेश से ऑफर आने शुरू हुए. पहला ऑफर मुझे मेरी केले के पत्ते से जुड़ी खोज के बाद मिला.

 

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गोपाल के अनूठे प्रयोग; वेस्टेज पेपर से बिजली और केले के लिक्विड से हेयर डाई बनाई

  • पेपर बायो सेल- वेस्टेज पेपर से बिजली
  • गोपोनियम एलोय- किसी भी हीट पर इसका रूप नहीं बदलता। इसमें कई एलिमेंट का प्रयोग किया। इसे इस्तेमाल कर सूर्य पर भी जाया जा सकता है।
  • जी स्टार पाउडर– इसे लगाकर 5 हजार डिग्री सेल्सियस का हीट गेन किया जा सकता है।
  • हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल- इस डिवाइस से 50 हजार वोल्ट बिजली स्टोर की जा सकती है।
  • सोलर माइल- सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी को मिलाकर इसे बनाया गया है। 2 किमी की रफ्तार से हवा चलने पर भी बिजली स्टोर की जा सकेगी।
  • गोपालासका- न्यूक्लियर अटैक से पैदा रेडिएशन को कम करेगा। अब 5 सालों में ही इसका असर खत्म किया जा सकेगा। जबकि अभी न्यूक्लियर अटैक का रेडिएशन सौ सालों तक रहता है।
  • बनाना नैनो फाइबर एंड क्रिस्टल- केले के थंब से नैनो फाइबर बनाया। उससे जैल बना। इससे डाइपरी प्रोडक्ट बनेंगे। फाइबर से बुलेट प्रूफ जैकेट बनाया जा सकेगा। केले के पत्ते से टिशू पेपर, फाइल कवर और कार्टन बनाया जा सकेगा। लिक्विड से हेयर डाई बनाया जा सकेगा। इसे एक बार लगाने से हमेशा के लिए बाल काले हो जाएंगे। केले के थंब से ईंटें बनाई जाएंगी। इससे बने मकान पानी पर तैरेंगे। गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। लिक्विड से इलेक्ट्रिक बैटरी बनाई है जो दस गुना ज्यादा पावरफुल है।
  • बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक-  केले के थंब से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाया गया है। इसका इस्तेमाल करने के बाद यह खुद-ब-खुद खाद बन जाएगा। खेतों में इसका इस्तेमाल हो सकेगा।

 

 

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