बिहार के इस लाल के सिर में लगी थी गोली…टपक रहा था खून, फिर भी आतंकियों को मार गिराया..

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CRPF के शहीद जवान रमेश रंजन का पार्थिव शरीर पटना पहुंचा, एयरपोर्ट पर लगे भारत माता की जय के नारे

जम्मू-कश्मीर के लवेपोरा इलाके में आतंकियों और सीआरपीएफ जवानों के बीच हुई मुठभेड़ में तीन आतंकी ढेर हो गए. इस मुठभेड़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) का एक जवान शहीद हो गया. लेकिन शहीद होने से पहले जवान ने देश के लिए ऐसा कारनामा किया कि वह अमर हो गया.

दरअसल, बुधवार को लवेपोरा में सुरक्षाबलों को आतंकियों के होने की खबर मिली थी, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने इलाके में सर्च अभियान चलाया और इलाके की घेराबंदी की. इसी दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी शुरू कर दी. आतंकियों ने जवान रमेश रंजन के सिर पर गोली मार दी.

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गोली लगने के बाद भी रमेश ने रायफल संभाली और जवाबी फायर शुरू कर दिया. जमीन पर गिरते-गिरते रमेश ने एक आतंकी को ढेर कर दिया. फायरिंग की आवाज सुन बाकी जवान अलर्ट हो गए और दो और आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया.

सीआरपीएफ के जवान रमेश रंजन भाेजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के देवटोला गांव के रहने वाले थे.

आतंकियों को मारने में रमेश की अहम भूमिका

सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अिधकारी ने बताया कि लश्कर, हिजबुल व जेकेआईएस के तीनों आतंकियों को मार गिराने में रमेश रंजन की अहम भूमिका रही. रमेश CRPF की 73वीं बटालियन में तैनात थे. उनके पिता राधामोहन सिंह बिहार पुलिस से सेवानिवृत्त एसआई हैं. रमेश की पहली पोस्टिंग 2011 में ओडिशा में हुई थी.

चार भाइयों में सबसे छोटे रमेश की शादी वर्ष 2016 में बड़हरा के गुंडी-सरैंया निवासी विजय राय की पुत्री बेबी राय के साथ हुई थी. उनकी अभी कोई संतान नहीं है. मंगलवार को ही शाम 7 बजे पिता से उनकी फोन पर बात हुई थी.

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सीआरपीएफ के डीजी बोले- बहादुर साथी को सैल्यूट

सीआरपीएफ के डीजी एपी महेश्वरी ने कहा कि हम अपने बहादुर जवान को सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण की आहूति दे दी. बुधवार देर शाम श्रीनगर में पार्थिव शरीर को गार्ड ऑफ द ऑनर दिया गया. पार्थिव शरीर को दिल्ली भेजने की तैयारी है. वहां से पैतृक गांव भेजा जाएगा. मुठभेड़ बुधवार काे परम्पाेर इलाके में तब हुई, जब बाइक से आए तीन आतंकियाें ने माेबाइल चेक प्वाइंट पर तैनात सीआरपीएफ जवानाें पर गाेलीबारी शुरू कर दी.

सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि 30 साल के रमेश रंजन गाेली लगने से घायल हाे गए, बाद में उनकी माैत हाे गई. खुफिया सूचना है कि आतंकी अफजल गुरु की फांसी की 7वीं बरसी से पहले कश्मीर में बड़ा हमला कर सकते हैं. इसलिए 8 से 14 तक राज्य में हाई अलर्ट घोषित किया गया है.

 

शहीद के पिता ने कहा-मुझे मुआवजे की जरूरत नहीं, बेटे को परमवीर चक्र दे सरकार
बेटे की शहादत पर पिता राधामोहन सिंह ने कहा कि मुझे कोई मुआवजे की जरूरत नहीं है. सरकार मेरे बेटे को परमवीर चक्र दे. मेरे बेटे ने मातृभूमि के लिए शहादत दी और हमेशा के लिए अमर हो गया. राधामोहन सिंह ने कहा कि मेरे पिता ने भी सेना में रहकर देश की सेवा की है. मेरा दामाद भी सेना में है. देश की सेवा करते-करते मेरा बेटा शहीद हो गया. आज मुझे अपने बेटे की शहादत पर फख्र है.

सरकार को देश से आतंकियों की पूर्ण सफाई के लिए कड़े कदम उठाना चाहिए. शहीद बेटे के नाम पर शहीद स्मारक और गांव का मुख्य सड़क का नाम किया जाना चाहिए.

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मंगलवार की शाम पिता से नये मकान के बारे में हुई थी बात
रमेश ने मंगलवार की शाम करीब 7 बजे अपने पिता से अंतिम बार फोन पर बात की थी. शहीद के पिता राधा मोहन सिंह ने बताया कि बेटे में आरा के नए मकान के बारे पूछा था. मैंने उसे बताया था कि मकान की पेटिंग का काम चल रहा है.

22 दिसम्बर को छुट्‌टी के बाद अपनी ड्यूटी पर लौटे थे रमेश
काफी मिलनसार, कर्मठ और हंसमुख स्वभाव के रमेश पिछले वर्ष 20 नवम्बर 2019 को छुट्टी लेकर अपने गांव आए थे. गांव आने के बाद अपने इंजीनियर भाइयों के बुलाने पर पत्नी को साथ लेकर बाहर घूमने भी गये थे. एक माह की छुट्टी के बाद 22 दिसम्बर को श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे.

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4 भाइयों में सबसे छोटे थे, वर्ष 2011 में हुए थे बहाल, 2016 में हुई थी शादी
देव टोला के मठिया निवासी राधा मोहन सिंह के 4 पुत्रों व एक पुत्री में सबसे छोटा पुत्र रमेश रंजन थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई आरा शहर के डीएवी स्कूल, धनपुरा से हुई थी. वहां से इंटरमीडियट करने के बाद आरा में ही हर प्रसाद दास जैन कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई किए थे. रमेश की शादी वर्ष 2016 में बड़हरा प्रखंड में जयलाल के डेरा गांव निवासी विजय राय की पुत्री बेबी राय के साथ काफी धूमधाम से हुई थी. रमेश को कोई संतान नहीं है.

 

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