मिलिए 6 महिला IPS से, जिन्हें कभी पढ़ने के लिए भी लड़ना पड़ा, आज कही जाती हैं बिहार की लेडी सिंघम….

आज हम बिहार की उन बेटियों की कहानियां आपको बता रहे हैं जो बेहद साधारण परिवेश से आईं। अपनी जिद और लगन से समाज में न सिर्फ अपने लिए बल्कि महिलाओं के एक सम्मान अर्जित किया। चाहे वह पटना की कानून व्यवस्था को नए सिरे से परिभाषित करने वाली किम जिन्हें बचपन में एक टीवी सीरियल उड़ान की नायिका कल्याणी सिंह ने इतना प्रभावित किया कि वह आईपीएस की बनकर मानी। या फिर परिजनों के सवालों ‘शादी की करनी है तो पढ़ कर  क्या करोगी’ को बीपीएससी के सवालों से हल करने वाली होमगार्ड कमांडेंट तृप्ति सिंह।

बिहार ने पंजाब की बेटी हरप्रीत कौर की दिलेरी और ईमानदारी तो मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड के दौरान ही देख ली थी। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि उनका आईपीएस बनने से पहले का जीवन किन-किन और किस-किस तरह के संघर्षों से होकर गुजरा है। आज हमे इन तेज तर्रार महिला अफसरों की कहानी इसलिए पढ़ी जानी चाहिए ताकि हम यह समझ सकें कि महिलाओं ने वक्त के साथ खुद को कैसे बदला, गढ़ा और जीत हासिल की…ताकि बिहार की और बेटियां आने वाले समय में  नेपथ्य से निकल कर समय और समाज के मंच पर अपनी आभा बिखेर सकें।

 

किम शर्मा : उड़ान सीरियल देख ठाना था आईपीएस बनना

आईपीएस अफसर किम के बारे में जानने से पहले एक टीवी सीरियल की कहानी जानते हैं। सीरियल था ’उड़ान’। … यह एक साधारण परिवार की युवती ‘कल्याणी सिंह’ की कहानी है, जो हर स्तर पर लैंगिक भेदभाव से जूझती हुई आईपीएस अफसर बनती है। इसी ‘उड़ान’ ने किम को जिंदगी में नई उड़ान भरने की प्रेरणा दी। स्कूली जीवन में ही ठान लिया कि मैं भी आईपीएस अफसर बनूंगी। पर राह आसान नहीं थी। यूपीएसएस की परीक्षा में पहले ही प्रयास में वर्ष 2008 में आईपीएस के लिए चचनित हो गई। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग पटना में सिटी एसपी के पद पर हुई। ‘लेडी सिंघम’ की छवि बन गई।

तृप्ति सिंह : पढ़ाई के लिए जिन्हें संघर्ष करना पड़ा

होमगार्ड कमांडेंट तृप्ति सिंह को बचपन से ही वर्दी अच्छी लगती थी। परिवार का एक इंटर कॉलज था पर  परिजन लड़कियों की उच्च शिक्षा के खिलाफ थे। यूपी के जौनपुर की रहने वाली तृप्ति ने 12 वीं के बाद बीटेक किया और लक्ष्य बनाया भारतीय पुलिस सेवा।  बीपीएससी के जरिए बिहार पुलिस सेवा के लिए चयनित हुई। होमगार्ड मुख्यालय में कमांडेंट के पद पर पोस्टेड हैं। तृप्ति के मुताबिक ‘सफल हो गई तो लोगों में चेंज आया। मैं खुद सशक्त फील करती हूं। हर दायित्व का निर्वहन कर रही हूं। भारतीय पुलिस सेवा में जाने के लिए मेरा प्रयास जारी है।…

हरप्रीत कौर : गांव के प्राइमरी स्कूल से पढ़ीं, आगे बढ़ीं

पंजाब के बरनाला के अलकड़ा गांव में 26 जून 1980 काे जन्मी हरप्रीत काैर ने 2009 में तीसरे प्रयास में यूपीएससी पास की थी। वह बिहार कैडर की तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी हैं। इनकी देख-रेख में ही बालिकागृह कांड की शुरूआती जांच हुई और ब्रजेश ठाकुर गिरफ्तार हुआ था। बताती हैं कि पहले और दूसरे प्रयास में यूपीएससी में पिछड़ने के बाद काफी डिप्रेशन में थी। भैया और भाभी ने मनाेबल बढ़ाया। मां और पापा से भी सहयाेग मिला। इसके बाद तीसरे प्रयास में 2009 में यूपीएससी पास किया। इनका ऑल इंडिया रैंक 143 वां आया था। पिछड़े और अपराध ग्रस्त हाेने के कारण इन्हाेंने बिहार कैडर काे चुना।

लिपि सिंह: आईएएएस से इस्तीफा दे बनी आईपीएस ऑफिसर

लिपि सिंह ने अपने कैरियर के पहले साल में ही बाहुबली अनंत सिंह को गिरफ्तार कर काफी सुर्खियां बटोरीं। लिपि सिंह की प्राइमरी स्कूलिंग उत्तर प्रदेश में हुई थी। 2011 में यूपीएससी द्वारा आयोजित इंडियन ऑडिट अकाउंट सर्विस की परीक्षा इन्होंने पास की थी। देहरादून में प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने अवकाश लेकर दोबारा यूपीएससी की परीक्षा देनी चाही ताकि आईएएस या आईपीएस बन सकें। सिंह को एकेडमी से छुट्टी नहीं मिली तो इन्होंने इंडियन ऑडिट अकाउंट से इस्तीफा दे दिया।

निधि रानी: संघर्ष के दौरान मां-पिता के भरोसे ने दी भरपूर ताकत

हरियाणा के एक छोटे से गांव खरकड़ा जो रोहतक जिले में है, की रहने वाली निधि रानी अहलावत को जब नवगछिया जिले की कमान मिली तो उन्होंने घोषणा की कि यहां की बेटियां पढ़ेंगी। उन्हें हर तरह से सुरक्षा दी जाएगी। उनके पिता एक मामूली क्लर्क हैं। निधि ने बताया कि मुश्किल क्षण में मेरे माता-पिता का काफी सपाेर्ट मिला है।  अाज की नई पीढ़ी अपने टारगेट तय करे। पाॅजिटिव साेच के साथ अपने टारगेट काे अचीव करने के लिए मेहनत करे।

वीणा कुमारी : शादी से एक साल की छुट्‌टी मिली तो बन गई अधिकारी

विजिलेंस एसपी वीणा कुमारी के लिए आईपीएस की मंजिल आसान नहीं थी। बोकारो से इंटर व रांची से ग्रेजुएशन के बाद आगे पढ़ना चाहती थीं, पर घर के लोग राजी नहीं थे। तब जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में काम कर रहे मामा से बात की। उन्होंने पिता की इच्छा के खिलाफ बुला लिया। 1993 में जबलपुर से पीजी करके लौटीं तो शादी की बात होने लगी। फिर यूपीएससी-बीपीएससी के लिए पिता से एक साल की मोहलत मिली। 1995 में बीपीएससी से जेल सेवा के लिए चयनित हो गईं

 

 

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शिवांगी : खुद को कहा- तुम में कुछ तो बात होगी अफसर वाली

भारतीय वायु सेना में पहली महिला पायलट बनी शिवांगी की कहानी बेटियों की सफलता की एक अलग ही इबारत है। संघर्ष के दौरान निराशा के सवाल पर सहज भाव से कहती हैं-हां मैं भी निराश हुई थी। जब पहली बार सर्विस सेलेक्शन बोर्ड की परीक्षा पास की थी। मेडिकल भी क्लियर हो गए थे लेकिन फाइनल मेरिट लिस्ट में मेरा नाम नहीं था। लेकिन उसी वक्त मुझे लगा कि जब सर्विस सेलेक्शन बोर्ड ने मेरा चयन किया है तो कुछ न कुछ मुझमें अॉफिसर बनने वाली बात जरूर होगी।

 

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